जानवरों की सुरक्षा क्यों करनी चाहिए? - jaanavaron kee suraksha kyon karanee chaahie?

प्रकृति और अन्य वन्यजीव प्रजातियों के महत्व को पहचानने के लिए वन्यजीवों का संरक्षण आवश्यक है। लुप्तप्राय पौधों और जानवरों की प्रजातियों को उनके प्राकृतिक निवास स्थान के साथ रक्षा करना भी ज़रूरी है।सबसे प्रमुख चिंता का विषय यह है कि वन्यजीवों के निवासस्थान की सुरक्षा किस प्रकार की जाए ताकि भविष्य में वन्यजीवों की पीढ़ियां और यहां तक की इंसान भी इसका आनंद ले सकें. यह लेख वन्यजीवों के संरक्षण के लिए आवश्यक चरणों से संबंधित है।

जानवरों की सुरक्षा क्यों करनी चाहिए? - jaanavaron kee suraksha kyon karanee chaahie?

वन्यजीवों में ऐसे वनस्पति और जीव (पौधें, जानवर और सूक्ष्मजीव) शामिल हैं, जिनका मनुष्यों के द्वारा पालन-पोषण नहीं होता हैं. दूसरी ओर वन्य जीवों, वनस्पतियों और उनके आवासों की सुरक्षा करना ही संरक्षण है. इसलिए, हम कह सकते हैं कि प्रकृति और अन्य वन्यजीवों की प्रजातियों के महत्व को पहचानने के लिए वन्यजीवों का संरक्षण आवश्यक है.

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लुप्तप्राय पौधें और जानवरों की प्रजातियों को उनके प्राकृतिक निवासस्थान के अंतर्गत सुरक्षा प्रदान करने के लिए वन्यजीवों का संरक्षण महत्वपूर्ण है. सबसे प्रमुख चिंता का विषय यह है कि वन्यजीवों के निवासस्थान की सुरक्षा किस प्रकार की जाए ताकि भविष्य में वन्यजीवों की पीढ़ियां और यहां तक की इंसान भी इसका आनंद ले सकें. यह लेख वन्यजीवों के संरक्षण के लिए आवश्यक चरणों से संबंधित है.

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मनुष्य द्वारा बड़े पैमाने पर जंगली जानवरों और पक्षियों की हत्या, एक गंभीर खतरा है जो कि वन्य जीवन अपने अस्तित्व के लिए सामना कर रहा है. जिसके कारण खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिक तंत्र अस्तव्यस्त हो जाती हैं. हम एक उदाहरण की मदद से बेहतर समझ सकते हैं; एक जंगली जानवर के रूप में सांप की त्वचा से फैंसी चमड़े के सामान को बनाने की बहुत ज्यादा मांग है, इसलिए साँप की त्वचा बाजार में ऊंची कीमत पर बेचीं जाती है. आसानी से पैसा कमाने के लिए कुछ लोगों ने बड़ी संख्या में सापों को अंधाधुंध मरना शुरू कर दिया. जिसकी वजह से खाद्य श्रृंखला में बाधा आती है और प्रकृति में असंतुलन पैदा होता है. क्या आप जानते हैं कि सांप किसान के दोस्त होते है, क्योंकि यह कीड़े, चूहें जो कि फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, इनको खा लेते हैं. इसलिए, प्रकृति में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और संरक्षण के लिए वन्य जीवन को संरक्षित करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
वन्यजीवों के संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदम इस प्रकार हैं:

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1. लुप्तप्राय जानवरों या पक्षियों की हत्या और उनपर कब्जा करने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कुछ कानून बनाए जाने चाहिए। यह एक दंडनीय अपराध होना चाहिए। ऐसे कानूनों को सकती से लागू किया जाना चाहिए और यह केवल कागज़ पर ही नहीं रह जाए इसका भी ध्यान देना अनिवार्य हैं.
2. जंगली पक्षियों और जानवरों की अंधाधुंध हत्या, चाहे बहुतायत में हो, वन अधिकारियों द्वारा अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
3. पूरे देश में जंगली जानवरों और पक्षियों के प्राकृतिक आवासों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों की अधिक संख्या की स्थापना की जानी चाहिए।
4. सरकार के विभाग को वनों के संरक्षण के संबंध में सभी वनों में आवधिक सर्वेक्षण करना चाहिए। उन्हें जंगली जानवरों और पक्षियों की सभी प्रजातियों की आबादी के बारे में ज्ञान होना चाहिए, जिससे कि उन्हें बाढ़ और अकाल के समय मदद मिल सके।

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5. विशेष रूप से हमारे द्वारा भी विलुप्त होने वाले जंगली जानवरों और पक्षियों के लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए भी ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि वे विलुप्त होने से बच सकें।
6. ईंधन के लिए जंगल में पेड़ों से लकड़ीयों का अनाधिकृत रूप से काटना तुरंत बंद होना चाहिए। क्योंकि वनों की कमी जंगली जानवरों और पक्षियों के प्राकृतिक आवास को नष्ट कर देती है।
7. हर एकड़ जंगल से पेड़ों की कटाई के लिए सरकार के प्राधिकरण मामले में, लंबे समय तक नुकसान को पूरा करने के लिए पौधों को लगाया जाना चाहिए।
8. यह हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने आसपास पेड़ लगाएं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
9. लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए प्रजनन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।
अंत में हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि वन्यजीवों का संरक्षण महत्वपूर्ण इसलिए है:

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- वन्य जीवों की उपस्थिति से पृथ्वी की प्राकृतिक सुंदरता में वृद्धि होती है.
- वैज्ञानिक मूल्य, यानी वैज्ञानिकों ने वन्य जीवन का अध्ययन करके ज्ञान प्राप्त किया है और विभिन्न औषधीय उत्पादों की भी खोज की है।
- इससे आर्थिक मूल्य को भी बढ़ाया जा सकता है क्योंकि यह लकड़ी, फाइबर, मांस, खाद्य उत्पाद आदि जैसी कई मूल्यवान पदार्थों को  प्रदान करता है।
- जीवन रक्षा मूल्य भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पृथ्वी की जीवित व्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखता है जो कि जीवन के अस्तित्व को सुनिश्चित करता है।

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बागपत, जेएनएन। जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा हैं। ये हमारे पर्यावरण को भी संतुलित बनाए रखने में सहायक होते हैं। जानवर मन से सच्चे होते हैं। उनमें भी भावनाएं होती हैं। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते हैं। इंसान लालच में इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ भी नहीं दिखता। बे•ाुबान जानवर और इंसान के बीच का रिश्ता बेहद खास होता है। हम इंसान जानवरों को प्यार देते हैं, तो वे इसके बदले वफादारी के साथ हमारी सुरक्षा करते हैं। पर ये बातें सिफऱ् वहीं लोग समझ सकते हैं, जिन्हें उनसे लगाव और प्यार होता है। कई मौके ऐसे आए, जब इंसान के प्यार ने बे•ाुबान पशुओं की जान बचाकर मानवता का धर्म निभाया। पर्यावरण को संतुलित रखने में पेड़-पौधों के साथ ही पशु-पक्षियों की भूमिका भी अहम है। मनुष्य के अत्यधिक हस्तक्षेप के कारण इनकी संख्या कम होती जा रही है। यदि हम जल्द नहीं चेते तो स्थिति भयावह हो सकती है। कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से जहां पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है, वहीं कुछ प्रजातियां तो विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी हैं। गर्मी का मौसम विशेषकर पक्षियों के लिए बहुत कष्टप्रद होता है। उन्हें बचाने के लिए सभी को प्रयास करना होगा। कम से कम एक सकोरा पानी का भरकर छायादार स्थान में रख दें तो बहुत से पंछियों की जान हम बचा सकते हैं। मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ करता जा रहा है। इसके दुष्परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। हालांकि पर्यावरणविदों का कहना है कि ये दुष्परिणाम लंबी अवधि के होते हैं और अभी जो नजर आ रहे हैं। वे सौवें हिस्से के बराबर हैं। युगों से इंसान पशु-पक्षियों से प्यार करता रहा है। दुनिया में कई सारे लोग हैं, जो पक्षियों और जानवरों से बेहद प्यार करते हैं। कई लोगों ने कुत्ता, बिल्ली जैसे जानवरों को ऐसे अपना लिया है कि वे उन्हें अपने घर-परिवार का बेहद अहम हिस्सा मानते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जो जानवरों को अपने बच्चे मानते हैं और वे उनका पालन-पोषण वैसे ही करते है, जैसे कि इंसानी बच्चों का किया जाता है। बे•ाुबान मासूम जानवरों को सड़कों पर वाहन से कुचल आगे बढ़ जाना या फिर उन्हें तड़पते हुआ देखकर अनदेखा कर देना आजकल के लोगों की फितरत बन चुकी है, लेकिन अपने इस रवैये के कारण हम यह भूल जाते हैं कि हमारे बीच रहने वाले पशु-पक्षियों को केवल हमारा ही सहारा है। भले ही जानवर अपना दर्द बयां न कर सकते हों, लेकिन इंसान के प्रति प्यार और लगाव बखूबी बयां करते हैं। दो वक्त की रोटी और कुछ पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते हैं। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार बहुत प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उन में भी मनुष्य की तरह दर्द, भावनाएं, प्यार होता है। जानवर भी खुश और दुखी होते हैं। जानवर भी हर बात को समझते और महसूस करते हैं। जानवरों का भी अपना परिवार होता है। हमें जानवरों को तंग नहीं करना चाहिए और ना ही मारना चाहिए। हमें उनके साथ प्यार से रहना चाहिए। उन्हें दाना पानी रखना चाहिए। जानवर भी भगवान का बनाया हुआ रूप है। इसलिए हमें उनके साथ अच्छे से रहना चाहिए। आज जानवर सड़कों पर लावारिसों की तरह फिरते रहते है। कोई इंसान किसी जानवर को पालता है तो अपने लालच के लिए अगर वह बीमार हो जाए या वह जानवर अपने मालिक को वह फायदा नहीं दे पा रहा हो जो उसका मालिक उससे अपेक्षा कर रहा है तो उसका मालिक उससे असंतुष्ट हो जाता है और उससे छुटकारा पाने के लिए या तो उसे कसाई को बेच देता है या फिर उसे कही लावारिस छोड़ देते है। हमें जानवरों के साथ भी इंसानों जैसा व्यवहार करना चाहिए क्योंकि ये भी संवेदनशील होते है। -सीमा पंवार, उप प्रधानाचार्य, शहीद मनवीर नेशनल स्कूल, बली-मेवला मार्ग।

Edited By: Jagran

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जानवर की सुरक्षा क्यों करनी चाहिए?

जानवरों की सुरक्षा बहुत ही जरूरी है क्योंकि जानवर हमारी प्रकृति का एक हिस्सा है जानवरों की वजह से हमें एक नहीं कई सारे फायदे होते हैं। जानवर हमें कई तरह की आवश्यक सामग्री उपलब्ध करवाते हैं जिनका हम उपयोग करते हैं।

हमें जानवरों की रक्षा और रक्षा क्यों करनी चाहिए?

जंगलों के खत्म होने और जानवरों के रहने की जगह कम होना ही उनकी विलुप्ति का मुख्य कारण है. और बाकी नुकसान जलवायु परिवर्तन के खाते में जाता है, इससे ज्यादा नुकसान ठंडे प्रदेशों में रहने वाले प्राणियों पर होता है. कई बार सीधे ही इंसान इन जानवरों की जान का दुश्मन बन जाता है.

जंगली जानवरों की सुरक्षा कैसे करें?

खली से फसलों में अल्प मात्रा में नाइट्रोजन की आपूर्ति होती है और यह फसल में लगने वाले कीट पतंगों से भी फसल को सुरक्षित रखता है। 👉🏻4 लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर मिलाकर इसमें 500 ग्राम बालू डालें। इस घोल को पांच दिन बाद छिड़काव करें। इसकी गंध से करीब 20 दिन तक नीलगाय खेतों में नहीं आएगी।

जानवरों से हमें क्या लाभ है?

Solution : भोजन के अतिरिक्त जानवरों से ऊन, चमड़ा, सींग आदि प्राप्त होते हैं। जानवर हमें अनेक कार्यों जैसे खेती, परिवहन एवं भार वाहन में भी सहायक होते हैं। जानवरों की चर्बी को जलाकर रोशनी तथा गर्मी भी प्राप्त की जाती हैं।