Show वेद और शूद्र वेदों में शूद्र के बारे में क्या लिखा है?इस से सिद्ध होता है कि वेदों में शूद्रों का स्थान अन्य वर्णों की ही भांति आदरणीय है और उन्हें उच्च सम्मान प्राप्त है। यह कहना कि वेदों में शूद्र का अर्थ कोई ऐसी जाति या समुदाय है जिससे भेदभाव बरता जाए – पूर्णतया निराधार है। अगले अध्यायों में हम शूद्र के पर्यायवाची समझ लिए गए दास, दस्यु और अनार्य शब्दों की चर्चा करेंगे।
शूद्रों को वेद क्यों नहीं पढ़ना चाहिए?स्वामी दयानंद ने वेदों का अनुशीलन करते हुए पाया कि वेद सभी मनुष्यों और सभी वर्णों के लोगों के लिए वेद पढ़ने के अधिकार का समर्थन करते हैं। स्वामीजी के काल में शूद्रों का जो वेद अध्ययन का निषेध था उसके विपरीत वेदों में स्पष्ट रूप से पाया गया कि शूद्रों को वेद अध्ययन का अधिकार स्वयं वेद ही देते हैं।
क्या शूद्र वेद पढ़ सकते हैं?पुराण सरल संस्कृत पद्य में लिखे गए थे और महिलाओं और शूद्रों सहित सभी को सुनने के लिए थे, जिन्हें वेदों का अध्ययन करने की अनुमति नहीं थी। सम्भवतः पुजारियों द्वारा इनका पाठ मंदिरों में किया जाता था और लोग इन्हें सुनने आते थे।
शूद्र का देवता कौन है?ऋग्वैदिक काल में शूद्रों के देवता कौन थे? Notes: ऋग्वैदिक काल में देवताओं के भी वर्ण होती थीं जैसे कि अग्नि ब्राह्मण थे। इंद्र और वरुण क्षत्रिय, मारुत और रुद्र वैश्य तथा पूषन शूद्र थे। पूषन का कार्य यात्रियों की रक्षा करना बताया जाता है।
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